आबाड़ी के सौंदर्य घटाओं में सैलानियों ने बदले में दिये कूड़े का अम्बार….
सुऐब खान
डाला-सोनभद्र || मनुष्य के स्वार्थ के आगे प्रकृति के सौंदर्य का दोहन भला कितना सही।जनपद सोनभद्र के मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर जंगलो के बीच अपने अस्तित्व को समेटे आबाड़ी क्षेत्र आज जनपद सोनभद्र के रमणीय स्थलों में से एक हैं।कनहर नदी के कम बहाव और दोनों ओर जंगलों के बीच नदी के बहाव के कारणों से इसे मिनी गोवा का संज्ञा भी सैलानियों द्वारा दिया गया है।जनपद के इस चर्चित रमणीय पिकनिक स्थल पर नववर्ष के बाद से साफ-सफाई नहीं होने के कारण चारों ओर केवल कुड़ा-कचरा आदि बिखरा हुआ दिखाई दिया।
प्रश्न यह उठता हैं कि घरों को साफ सुथरा रखने वाले लोगों का क्या यह दायित्व नहीं बनता हैं कि अपने पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में सहयोग करें।एक जनवरी को आबाड़ी पिकनिक क्षेत्र में सैलानियों का ताता लगा रहा और उसके बाद नदियों के किनारे बच्चों के डायपर,प्लेट,प्लास्टिक,बोतल आदि भारी मात्रा में नदी के किनारे फेंक दिया जा रहा हैं जिससे नदी के दुषित होने का भी खतरा बढ़ता जा रहा हैं।वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि हम आदिवासी जल,जंगल और जमीन को ही अपना सब कुछ मानते हैं लेकिन शहर के लोग केवल इसका दोहन कर रहे हैं।
आज नदी के चारों ओर केवल कचरा ही दिखाई दे रहा हैं क्या यह दायित्व किसी का नहीं बनता हैं कि अभियान आदि चलाकर इसको स्वच्छ भी करना चाहिए।देश एक कदम स्वच्छता की ओर आगे बढ़ रहा हैं लेकिन इसे केवल एक दिन व समय के लिए सीमित नहीं किया जाना चाहिए।स्वच्छता को अपने व्यवहार में भी लाने की जरूरत है।