कोरिया MCB से महेश कुमार गुप्ता की रिपोर्ट।
कोरिया-छत्तीसगढ़ || जिले में फसल गिरदावरी काम जारी है। कलेक्टर श्रीमती चन्दन त्रिपाठी सहित जिले के अन्य अधिकारियों ने फसल गिरदावरी के कार्यों का निरीक्षण कर रहे हैं।
कलेक्टर श्रीमती चन्दन त्रिपाठी शनिवार को सोनहत तहसील के ग्राम कछार, बोडार, मधला एवं विक्रमपुर के खेतों में पहुंचकर ऑनलाइन गिरदावरी सत्यापन किया। पटवारी द्वारा संधारित अभिलेखों का मौके पर क्रॉस जांच की। कलेक्टर ने गिरदावरी कार्य को विशेष सावधानी व त्रुटिरहित ढंग से पूरा करने के निर्देश सभी अधिकारियों को दिए हैं।
जिले में पटवारियों ने गिरदावरी कर भुइयां सॉफ्टवेयर में अपलोड की। इसके बाद पटवारी द्वारा संपादित गिरदावरी कामों के भौतिक सत्यापन के लिए तहसील स्तरीय गिरदावरी सत्यापन दल तैयार कर एप के माध्यम से सत्यापन करने आईडी और पासवर्ड दिया। जिले के सभी तहसील स्तर पर बड़ी संख्या में अधिकारियों, कर्मचारियों का दल नियुक्त हैं।
जिले के कुल खसरों में से अधिकांश का सत्यापन दल द्वारा रेंडमली सत्यापन कर लिया गया है। तहसील स्तरीय सत्यापन दल द्वारा सत्यापित खसरों में 5 प्रतिशत खसरों का दोबारा जिला स्तरीय गिरदावरी सत्यापन दल द्वारा ऑनलाइन एप के माध्यम से सत्यापन करने अधिकारियों का चयन कर आईडी, पासवर्ड दिया गया है। जिलास्तरीय सत्यापन दल के अधिकारियों ने हल्का पटवारी व उसके द्वारा संधारित राजस्व अभिलेखों में दर्ज खसरा प्रविष्टि की जांच की गई।
गिरदावरी क्या है और यह क्यों जरुरी है?
किसान द्वारा अपने खेत के कितने रकबे में कौन-कौन सी फसल की बुआई की गई है। यह जानकारी पटवारी द्वारा शासन के डॉक्यूमेंट में दर्ज करवाई जाती हैं। इसी डॉक्यूमेंट को गिरदावरी कहा जाता हैं। गिरदावरी एक ऐसा डॉक्यूमेंट है, जिसके अंदर जमीन का पूरा रिकॉर्ड मौजूद होता है जैसे, कितनी जमीन पर खेती की गई है, खेत में कौन सी फसल बोई और बोने में सिंचाई कैसे की गयी है, खसरा संख्या आदि जानकारी शामिल होती है।
हर जमीन की गिरदावरी हर साल पटवारी के पास होती है। इस दौरान पटवारी देखता है कि किस किसान द्वारा कौन-कौन सी फसल कि बुआई कितने एकड़, हेक्टेयर जमीन में की गई है। शासन अब गिरदावरी रिपोर्ट को एप या पोर्टल पर दर्ज करने का काम तेजी से कर रहा है।