मोदी सरकार की तीसरी पारी के 100 दिन पूरे, पीएम समेत पूरी कैबिनेट ने प्रचार-प्रसार का मोर्चा संभाला

पीएम मोदी 17 सितंबर की सुबह ओडिशा पहुंचे और वहां पीएम आवास योजना के लाभार्थियों के घर भी गए. वहां महिलाओं ने उनको खूब धन्यवाद तो दिया ही और साथ ही छोटे बच्चे भी उन्हें जन्मदिन की बधाई देने उनके पास पहुंच गए. उसके बाद पीएम मोदी जब भुवनेश्वर में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे तो खासे भावुक हो गए. उन्होंने अपनी मां को याद किया. सुभद्रा योजना की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वो एक आदिवासी परिवार को पीएम आवास योजना में मिले नए घर के गृह प्रवेश में गए थे. उन्हें खाने में खीर मिली थी. पीएम ने कहा कि जब वो खीर खा रहे थे तो स्वाभाविक रूप से उन्हे मां याद आ गयी. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मां जीवित थीं, वो हर जन्मदिन पर उनका आशीर्वाद लेने जाते थे. वो उन्हें गुड़ खिलाती थीं. अपनी मां की यादों में खोये पीएम मोदी ने कहा कि अब उनकी मां नहीं हैं लेकिन एक आदिवासी मां ने उन्हें खीर खिला कर जन्मदिन का आशीर्वाद दे दिया है. ये अनुभव और ये एहसास ही उनके पूरे जीवन की पूंजी है.
उधर, गृहमंत्री अमित शाह ने भी प्रेस के सामने मोर्चा संभाला. पूरे मीडिया और देश के सामने मोदी सरकार की सौ दिनों की उपलब्धियों का लेखा-जोखा रखा. अमित शाह ने कहा कि ये उपलब्धियां मोदी की ही नहीं हैं बल्कि देश की 140 करोड़ जनता के विश्वास की है जिन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को लगातार तीसरी बार चुना. गृहमंत्री के मुताबिक इन 100 दिनों में 15 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू की गई हैं. शाह ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि हम पूरी दुनिया को एहसास करा पाए कि हमारी विदेश नीति में रीढ़ की हड्डी है.
गृहमंत्री का दावा है कि मोदी सरकार के इस कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि है क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में सुधार, जिसमें तीन नए कानून संसद से पारित होकर लागू बनने की प्रक्रिया में आ गए हैं. सरकार के मुताबिक ये अब तक का सबसे बड़ा रिफॉर्म है. अमित शाह के मुताबिक विदेश में बने जो आधुनिक कानून हैं, इन्हें भी अध्ययन कर के आगे ले जाया गया है. आने वाले दिनों में जो भी एफआईआर होगी वो तीन साल के भीतर सुप्रीम कोर्ट चली जाएगी.
रोजगार और सरकारी नौकरी में अंतर
उच्च सरकारी सूत्रों के मुताबिक रोजगार को लेकर विपक्ष के दावे सिर्फ गलत नैरेटिव साबित करने के लिए होते हैं. सरकार चाहती है कि मीडिया से लेकर पूरा प्रचार तंत्र रोजगार और सरकारी नौकरी के बीच अंतर को पाटने में मदद करे और आम लोगों को इसका अंतर भी समझाएं. नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरीडोर और 12 इंडस्ट्रियल जोनों का ऐलान हुआ है. इंफ्रा पर मोदी सरकार लाखों करोड़ रुपये खर्च कर रही है. ये जो पैसे आवंटित हुए हैं उससे रोजगार का ही सृजन हो रहा है. पीएम मोदी भी यही चाहते हैं कि देश का युवा नौकरी ढूंढ़ने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने में सक्षम बने.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक जब कांग्रेस ने लोन माफी की बात उठायी तो मोदी सरकार के पास दो विकल्प थे. पहला विकल्प था मनमोहन सरकार के दौर में दी गई 60 हजार करोड़ रुपये की लोन माफी और दूसरा विकल्प था किसानों की समस्याओं की जड़ तक जाने के लिए स्टडी करवाना.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह.
इसके लिए मोदी सरकार ने दूसरा विकल्प चुना. मोदी सरकार ने दूर दराज के किसानों पर अपने अध्ययन में पाया कि खेती-किसानी में बीज, खाद, पानी, कीटनाशक और छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 5800 रुपये का खर्च आता है. इसलिए मोदी सरकार ने किसान-सम्मान निधि की शुरुआत की. हर किसान के खाते मे 6000 प्रतिवर्ष डालने का काम शुरू कर दिया. सरकारी सूत्रों के मुताबिक ये रेवड़ी बांटने की योजना नहीं है बल्कि किसानों को स्वावलंबी और सशक्त बनाने की मुहिम है.
गांधीनगर का उदाहरण
गृहमंत्री अमित शाह ने अपने लोकसभा क्षेत्र गांधी नगर का उदाहरण देते हुए कहा कि घर की छत पर सौर ऊर्जा पैनल लगाने की योजना शुरू की गई है ताकि बिजली पर खर्च कम हो और सरकार पर भी कम बोझ पड़े. अमित शाह के मुताबिक उनके लोकसभा क्षेत्र में 40 फीसदी लोगों ने अपने घरों पर सोलर पैनल लगवा लिया है. जब बिजली का भारी भरकम बिल नहीं आता तो गृहणियों की खुशी देखते ही बनती है. अमित शाह का मानना है कि महिला सशक्तिकरण की इन्हीं पहलों के कारण महिलाओं ने बीजेपी को बड़ी संख्या में वोट दिया है. अमित शाह ने जमीन से जुडे़ अपने अनुभव की कई बातें भी बतायी जिनसे पता चलता है कि मोदी सरकार की योजनाओं का असर किस हद तक दूर दराज के क्षेत्रों तक पहुंच गया है.
गृह मंत्री ने गुजरात के साणंद में सड़क किनारे एक चाय की दुकान में कुछ समय बिताने का अपना अनुभव साझा किया. वहां बैठ कर चाय पी रहे मजदूरों से बात करने पर पता चला कि देश भर में चलने वाला ई राशन कार्ड किस हद तक कारगर साबित हुआ है. शाह ने बताया कि साणंद में रोजगार के लिए आया मजदूर वहां की राशन की दुकान से मुफ्त चावल तो ले पा ही रहा है बल्कि दूर बिहार के गांव में रह रहा उसका परिवार उसी राशन कार्ड पर बाकी सामान भी लेता है. ये सफलता है पीएम मोदी के उस सपने की जिसका उद्देश्य था एक देश एक राशन कार्ड ताकि मजदूरों, गरीबों को दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ें.
अब पूर्वोत्तर की बारी
पीएम मोदी ने एक रैली में कहा था कि पश्चिम के राज्य तो तरक्की की राह पर आगे बढ़ चले हैं लेकिन अब बारी पूर्वोत्तर की है. इसलिए इस बार बिहार, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश को चुना गया है. मोदी सरकार की विकास परियोजनाएं इन राज्यों के विकास से जुड़ी हुई हैं और पीएम खुद ये सुनिश्चित करने में लग गए हैं. लोकसभा चुनावों के ठीक पहले पीएम मोदी ने पूर्वांचल के पिछड़ेपन को लेकर पूछे गए सवाल में कहा था कि पूरा इलाका जब तक विकास की राह पर आगे नहीं बढे़गा तब तक देश का सार्वांगीण विकास संभव नहीं. इसलिए गांव, गरीब, किसान और महिलाओं के विकास को लक्ष्य बनाकर मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में आगे बढ़ निकली है. 2047 के विकसित भारत का लक्ष्य लेकर.
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