Bulldozer Action: अगर धर्म के बावजूद… जब बुलडोजर एक्शन पर भरे सुप्रीम कोर्ट में जज का फैसला- हम A-B समुदाय या किसी कथा पर नहीं…
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलमा ए हिंद के वकील ने सीयू सिंह और एमआर शमशाद ने बेंच को बताया कि रोजाना तोड़फोड़ की घटनाएं हो रही हैं, कभी-कभी तो इससे इलाके में अशांति फैल जाती है. दोनों वकीलों ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में जल्द से जल्दी सुनवाई हो. हालांकि यूपी की योगी सरकार और केन्द्र सरकार की तरफ से दलील देते हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई का बचाव किया. उन्होंने दलील दी कि तोड़फोड़ के लिए नोटिस जारी किया गया था और उसके आधार पर कार्रवाई की गई थी.
तुषार मेहता ने दलील दी कि किसी एक समुदाय को टारगेट करके तोड़फोड़ करने के दावे गलत हैं. उन्होंने कहा कि बुलडोजर की कार्रवाई तय नियमों के अनुसार हुई है. लेकिन तुषार मेहता की दलीलों पर बेंच ने कहा कि प्रोपर्टी को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल ‘प्रचार’ और ‘महिमामंडन’ करना एक गंभीर विषय है. कोर्ट ने कहा कि कुछ नेताओं ने बयान दिया है कि बुलडोजर बंद नहीं होंगे और यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि स्टीयरिंग किसके पास है. आपको बता दें कि कोर्ट स्पष्ट रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 4 सितंबर को समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियों के खिलाफ बुलडोजर के इस्तेमाल की आलोचना के जवाब में दिए गए एक बयान का जिक्र कर रही थी.
एक कथा बनाई जा रही है- तुषार मेहता की दलील
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हम आमतौर पर अखबारों की खबरों पर ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन 2 सितंबर को हमारे आदेश के बाद भी बयान आए कि बुलडोजर चलते रहेंगे और यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि स्टीयरिंग किसके पास है. महिमामंडन और दिखावा किया गया है. सवाल यह है कि क्या हमारे देश में ऐसा होना चाहिए? हम भारत के चुनाव आयोग से भी पूछ सकते हैं कि क्या इसकी अनुमति दी जा सकती है. मेहता ने तर्क दिया कि एक ‘कथा’ बनाई जा रही है जिसमें कहा जा रहा है कि एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. मेहता ने कहा कि यही कथा अदालत को भी पसंद आई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्पष्ट किया कि यह ‘बाहरी शोर’ से प्रभावित नहीं है, बल्कि इस तथ्य से प्रेरित है कि विध्वंस की कार्रवाई न्यायिक कसौटी पर खरी उतरनी चाहिए. इतना ही नहीं ‘बाहरी कारणों’ से कोई संपत्ति नहीं गिराई जा सकती. हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि हम विध्वंस और अनधिकृत निर्माण के बीच नहीं आएंगे, लेकिन कार्यपालिका न्यायाधीश नहीं हो सकती. हमने सभी धर्मों से दूरी बनाए रखी है.
हम दिशा-निर्देश जारी नहीं करने जा रहे हैं: सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने मामले में केंद्र और उत्तर प्रदेश राज्य के लिए पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हम दिशा-निर्देश जारी नहीं करने जा रहे हैं, लेकिन हम निर्देश जारी करेंगे. हम प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेंगे, जहां तक निर्देशों का सवाल है हम समुदाय ए या बी या किसी भी कथा पर नहीं देंगे. यहां तक कि अगर धर्म के बावजूद अवैध विध्वंस का एक भी उदाहरण है, तो यह संविधान के लोकाचार के खिलाफ है. कोर्ट ने कहा कि यह आदेश उन याचिकाओं के जवाब में आया है, जिनमें हाल ही में अपराध के आरोपी व्यक्तियों से जुड़ी संपत्तियों को निशाना बनाकर की गई तोड़फोड़ में वृद्धि को चुनौती दी गई है.
यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ द्वारा दिए गए उस बयान के चार दिन बाद आया है, जिसमें उसने कहा था कि अपराध के आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति को गिराने की प्रवृत्ति बढ़ती, जिसमें अक्सर उनके परिवार के लोग भी शामिल होते हैं और बुलडोजर के जरिए उन्हें मार दिया जाता है. ऐसे देश में अकल्पनीय है, जहां कानून सर्वोच्च है और कहा कि अगर इसे रोका नहीं गया तो यह घातक प्रथा देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने के समान देखी जा सकती है.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए फैसला सुनाया कि बिना अदालत की स्पष्ट अनुमति के कोई भी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए चाहे वह आरोपी हो या दोषी. साथ ही, कोर्ट ने इसकी अंधाधुंध कार्रवाई पर चिंता व्यक्त की और न्यायिक निगरानी की जरूरत पर प्रकाश डाला है. न्यायमूर्ति भूषण आर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ द्वारा दिए गए निर्देश में यह चेतावनी भी शामिल थी कि प्रतिबंधात्मक आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या जल निकायों पर अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि अगर देश भर के अधिकारी जल्दबाजी में किए जाने वाले विध्वंस पर फिलहाल रोक लगा दें तो ‘आसमान नहीं गिर जाएगा’.
Tags: Bulldozer Baba, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 18:41 IST