बलरामपुर-छत्तीसगढ़ || बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के विकासखण्ड शंकरगढ़ के ग्राम लाऊ के प्रगतिशील कृषक श्री कतरू अपनी टमाटर की खेती की सफलता का श्रेय कठिन परिश्रम के साथ उद्यान विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजनातंर्गत संचालित प्रशिक्षण एवं भ्रमण कार्यक्रम को देते हैं। उन्होंने 2023-24 में उद्यान विभाग के सहयोग से टमाटर की खेती कर लगभग 1.5 लाख रुपये की आय अर्जित किया।
कृषक कतरू के पास 01 हेक्टेयर खेत है, और इनका पारिवारिक पेशा खेती-बाड़ी है। श्री कतरू पहले परंपरागत तरीके से खेती करते हैं, पर विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं एवं उन्नत तकनीकी ज्ञान के अभाव में उत्पादन इतना कम होता था कि परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो जाता था।
परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वे मजदूरी का कार्य भी करते थे। कमाई इतनी ज्यादा नहीं हो पाती थी कि वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकें। इसके अलावा भविष्य की पारिवारिक जिम्मेदारियां भी अधर में दिखाई दे रहीं थी। श्री कतरू को जब उद्यान विभाग की योजनाओं की जानकारी मिली तो वे भी अपनी आय को बढ़ाने के लिए एक दिन विकासखण्ड के उद्यान विभाग में गए तथा अधिकारियों से सम्पर्क कर उद्यानिकी खेती की उन्नत तकनीक के बारे में चर्चा की। विभाग के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि विकासखण्ड में संचालित राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजनांतर्गत प्रशिक्षण एवं भ्रमण कार्यक्रम आयोजन किया जाता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेकर श्री कतरू ने सब्जी उत्पादन के साथ-साथ अंतरवर्ती फसल करने का निर्णय लिया। उन्होंने उद्यान विभाग के सहयोग प्राप्त कर अपने 01 हेक्टेयर खेत में टमाटर की खेती की। साथ ही उद्यान विभाग द्वारा श्री कतरू को 25 हजार रुपये का केसीसी, ड्रिप, मल्चिंग, वीडर तथा स्पेयर का अनुदान भी प्राप्त हुआ। उन्होंने उद्यान विभाग से मिले सहयोग तथा अपनी मेहनत से टमाटर की खेती की। बम्पर फसल उत्पादन होने से किसान कतरू के चेहरे की मुस्कान और आय स्त्रोत में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने बताया कि खेती से लगभग 600 क्विंटल टमाटर प्राप्त हुये जिसे बाजार में बेच कर मुझे खर्चा काटकर लगभग 150000 का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। कतरू कहते हैं कि टमाटर की खेती करने से मेरे आय के स्त्रोत में बढ़ोत्तरी होने पर मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार आ रही है। श्री कतरू ने उद्यान विभाग से मिले सहयोग के लिए विभाग को धन्यवाद दिया है। श्री कतरू के इस जुनून को देखते हुए आस-पास के कृषक भी उद्यानिकी फसल को अपनाने हेतु प्रेरित हो रहे हैं।