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बालोद जिले को जल संचय-जनभागीदारी अभियान में देश में तीसरा स्थान, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री पाटिल ने की सराहना।

रायपुर || छत्तीसगढ़ || जल संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में बालोद जिले ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। जल संचय-जनभागीदारी अभियान के अंतर्गत किए गए उत्कृष्ट कार्यों के फलस्वरूप बालोद जिला, देश में तीसरे स्थान पर रहा है। यह उपलब्धि समाज के सभी वर्गों की सक्रिय सहभागिता और जिला प्रशासन के विशेष प्रयासों से संभव हो सकी है।

कैच द रेन अभियान के तहत जिले में वर्षाजल को संचित करने हेतु तालाब, कुएं, सोकपिट, गड्ढों का निर्माण, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जैसी महत्वपूर्ण संरचनाओं का निर्माण किया गया। इसके फलस्वरूप जल संरक्षण की दिशा में बालोद की यह उपलब्धि राष्ट्रीय स्तर पर सराही गई है। इस उपलब्धि की समीक्षा हेतु आयोजित वर्चुअल बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल एवं जल शक्ति मंत्रालय की सचिव सुश्री देवाश्री मुखर्जी ने देश के 34 जिलों के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की। इस दौरान बालोद जिले में किए गए कार्यों की उन्होंने सराहना की।

संयुक्त जिला कार्यालय स्थित एनआईसी कक्ष से वर्चुअल बैठक में कलेक्टर श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा ने जिले में सामुदायिक भागीदारी से किए जा रहे जल संरक्षण कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने वर्ष 2023-24 के भू-जल सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर जिले के डौंडीलोहारा एवं डौंडी विकासखंड को सेफ जोन, गुण्डरदेही एवं बालोद विकासखंड को सेमी क्रिटिकल तथा गुरूर विकासखंड को क्रिटिकल जोन में शामिल होने की जानकारी दी।

कलेक्टर ने बताया कि जिले में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से वर्ष 2024-25 में कुल 1,06,677 नवीन जल संरचनाओं का निर्माण किया गया है। साथ ही पूर्व निर्मित 30,849 जल स्रोतों की मरम्मत एवं सफाई की गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 10 हजार वाटर रिचार्ज पिट, वन क्षेत्र में 3 लाख 88 हजार पौधों का रोपण तथा ग्रामीणों की निजी पहल पर 27,000 से अधिक घरों में सोकपिट बनाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, जिले में 140 अमृत सरोवर, 1,944 सामुदायिक तालाब, 6,160 निजी डबरी/तालाब, 399 मिनी परकुलेशन टैंक, 6,614 लूज बोल्डर चेक डेम, 672 नदियों का पुनरुद्धार, 69 स्टॉप डेम, 316 गेबियन चेक डेम, 423 कुओं और 44,049 वाटर रिचार्ज पिट का निर्माण किया गया है। जल संरक्षण के साथ-साथ जिले में फसल चक्र परिवर्तन की दिशा में भी अभिनव पहल की गई है। गुरूर विकासखंड के 36 ग्रामों में ग्रीष्मकालीन धान की खेती के स्थान पर शत-प्रतिशत दलहन-तिलहन फसलों का विस्तार किया गया है। जिले में कुल 5,733 हेक्टेयर में इस परिवर्तन से 65.70 प्रतिशत भू-जल की अनुमानित बचत हुई है।

जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिए जिले में 436 जल वाहिनी समिति और जल जतन समिति का गठन किया गया है। स्कूल-कॉलेजों, एनसीसी, एनएसएस के विद्यार्थियों को जलमित्र के रूप में शामिल किया गया है। ग्रामीणों को लघु फिल्मों एवं संवाद के माध्यम से जल संचयन के महत्व से अवगत कराया जा रहा है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री एवं सचिव ने बालोद जिले की इन प्रयासों को देशभर के लिए अनुकरणीय बताते हुए कलेक्टर सहित पूरी टीम को बधाई दी।

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